जिसके हम मामा है- शरद जोशी(व्यंग्य रचना)
‘जिसके
हम मामा है’ शरद जोशी लिखित एक व्यंग्य प्रधान रचना है| इस रचना में जो हमें
अर्थात भारतीय नागरिक या वोटर को मामा बनाते है ऐसे राजनीतिज्ञो पर व्यंग्य किया है|
यह राजनीतिज्ञ चुनाव आते ही वोटरों के पास आते है, उनके चरण स्पर्श करते है और
मीठे-मीठे बोल बोल उन्हें प्रजातंत्र के गंगा में डूबों कर उनका वोट भगाकर ले जाते
है| और हम वोटर खाली तौलिया लगाकर अगले पांच साल उन्हें ढूंढते रहते है, तब वे
हमें कहीं भी नजर नहीं आते| कारण वे हमें मामा बनाकर जाते है|
व्यंग्य
में एक सज्जन बनारस पहुंचते है| स्टेशन पर पहुंच ते ही एक लडका दौडते हुए आता है
और उनके चरण स्पर्श करता है| बिना जान पहचान के भी उन्हें अपना मामा कहता है|
जिसका नाम मुन्ना है| वे सज्जन उसे पहचान नहीं पाते, तब वे कहता है कि कोई बात
नहीं इतने साल हो गये है| इसीलिए आप भूल गये मामाजी|
तब
मामाजी अपने भांजे के साथ बनारस घुमने लगे| इसी बात को लेकर खुश हुए, चलो किसी का
तो साथ मिला| बनारस में मामा को यहां वहां घुमाकर मुन्ना गंगाघाट पर ले गया| बनारस
आए है, तो गंगा में डुबकी लगानी ही चाहिए| मामा भी गंगा में डुबकी लगाने के बारे
में कहते| वे हर-हर गंगे करके गंगा में डुबकी लगाते है और बाहर आकर देखते है, तो
उनका सामान, कपडे , यहां तक मुन्ना भी गायब था| तौलिया लपेटकर वे मुन्ना को ढूंढने लगे | लोगों को पूछने लगे आपने कहीं
मुन्ना को देखा है क्या? लोग उन्हें पूछते है, कौन मुन्ना? वे कहते है जिसके हम
मामा है| इसी तरह मामा के तौलिया लपेटे घाट
पर बीत जाते है|
लेखक
यहां यह बताना चाहते है की भारतीय नागरिक और भारतीय वोटर के नाते हमारी यही स्थिति
है| चुनाव के मौसम में कोई आता है और हमारे चरणों में गिर जाता है| मुझे नहीं पहचाना मैं चुनाव का उम्मीदवार| होनेवाला ए.पी.| मुझे नहीं पहचाना? आप प्रजातंत्र की गंगा में डुबकी लगाते हैं| बाहर निकलने पर आप देखतें है कि वह शख्स जो कल आपके चरण छूता था, आपका वोट लेकर गायब हो गया| वोटों पूरी पेटी लेकर भाग गया| तब हम समस्या के घाट पर हम तौलिया लपेटे खडे हैं| सबसे पूछ रहे हैं- क्यों साहब, वह कहीं आपकों नजर आया? अरे वही, जिसके हम वोटर हैं| वहीं, जिसके हम मामा हैं| आगे आपके पांच साल इसीतरह तौलिया लपेटे , घाट पर खडे बीत जाते हैं|
बहुविकल्पी प्रश्न-
1) जिसके हम मामा है व्यंग्य प्रधान रचना है|
2) जिसके हम मामा है व्यंग्य के रचनाकार शरद जोशी है|
3) जिसके हम मामा है में सज्जन भारतीय वोटरों का प्रतीक है|
4) जिसके हम मामा है में मुन्ना राजनीतिज्ञ को प्रतीक है|
5) जिसके हम मामा है में सज्जन बनारस पहुंचते है|
6) बनारस में सज्जन को मुन्ना मिलता है|
7) सज्जन को मामा बनाकर मुन्ना गायब हो जाता है|
8) भारतीय नागरिक प्रजातंत्र की गंगा में डुबकी लगाते है|
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