पोस्टमैन - शैलेश मटीयानी

 पोस्टमैन - शैलेश मटीयानी


         पोस्टमैन - शैलेश मटियानी 

‘पोस्टमैन’ शैलेश मटियानी  लिखित कहानी है| जिसमें दयाराम पोस्टमैन की भावनाओं को चित्रित किया है| जो बेनिनाग पोस्ट में कार्यरत है| वहां के पोस्टमास्तर राम पांडे है| इसके साथ इस कहानी में अल्मोडा, कुमाऊ, कमस्यारी, मुवाणी, गांव के बेरोजगार युवकों तथा औरतों की  समस्याओं को चित्रित किया है| 

कहानी का प्रारंभ कमस्यारी गांव के प्रधान जसौतसिंह नेगी के बेटे रतनसिंह नेगी  के चिट्टी से हुआ है| जो आर्मी में है और देहरादून में उनकी पोस्टिंग है|जिनका बटालियन नं KB- 2, सिपाही नंबर 339 है| चिट्टी हाथ में लेते ही जसौतसिंह बहू को पोस्टमैन के लिए चाय करने कहते है और पोस्टमैन को चिट्टी पढने के लिए कहते है| उनका लडका यहां होता तो वही पढता| वह पढने में बहुत होशियार था| उसकी मां का विरोध होते हुए भी उसे प्रायमरी तक पढाते है| कारण उनकी सोच थी, चार आखर बाच ले, तो ठीक रहें| आखिर बिरमाजी ने विद्या बनाई किसलिए ठहरी|” मोतीराम मास्टर ने दर्जा चार में तीन साल तक रखा वरना आगे और पढता| 

रतनसिंह की प्रसंशा सुनने के बाद दयाराम चिट्टी पढता है|  जिसमें बडों से आशीर्वाद और छोटों को प्यार था| ठाकुर चेतसिंह की बेटी के साथ छोटे भाई आनंदसिंह की शादी तय करने की बात तक चिट्टी में थी| इतनाही नहीं तो लडकियों को घाघरे - पिछौडे बनाना, मां- पिता के लिए अलमोडा के हिरेलाल - मोतीलाल के यहां से तमाकू की असली पिंडी बनवाना और गोल देवता को नमस्कार कहना इतनी सारी बातें चिट्टी में लिखी थी|  चिट्टी पढने के बाद दयाराम आगे निकल जाते|

अपने पिता के कारण दयाराम पोस्ट में नौकरी पर लगा था| हायस्कूल की पढाई के बाद वह बेकार पडा था| उसके पिताजी हरकारे की नौकरी करते थे| वे शहर के पोस्ट मास्टर के यहां चातुर्मास- भर दही की ठेकियां और ककडी - लौकी के बोरे पहुंचाते  है, तब उनके बेटे को नौकरी मिली थी| हप्ते में दो बार वह कमस्यारी गांव जाता था| वह महसूस करता है, जब वह मनीऑर्डर देता  है तब लोग उसे तिलक लगाते है| परंतु जब तार आती है तब लोग उसे गालियां देते है| 

उसे मुवाणी गांव के धन सिंह विष्ट की बहू भागुली की बात याद आती है| धन सिंह विष्ट का बेटा कश्मीर की लडाई में मारा गया था| इसकी तार दयाराम लेकर ही आया था और उसने ही पढकर दिखाई थी, तब भागुली बिजली की चपेट में आई हुई- सी मर्मांतक चीखें मारती, दरांती लेकर दयाराम को मारने दौडी थी| उसका मर्मभेदी रुंदन देख दयाराम के भी आंसू निकल आए थे| 

केवल भागुली ही नहीं तो न जाने कितनी औरतें अपने पति के विरह में रोती है, इसका एहसास दयाराम को जंगली रास्तें से गुजरते वक्त होता है| वह पहाडी औरतों के विरह भरें गीत सुनता है| सच में इस इलाके के अनेक बेकार नौजवान आर्थिक विवशताओं के कारण पलटन में भर्ती हो जाते है| ऊपर से लडाई का जमाना इसीलिए अधिक नौजवान आर्मी में जाते है और उनकी औरते पति की प्रतिक्षा में दिन-रात रोती रहती है| यह सब याद कर दयाराम डर जाता है|

आज सोमवार है| कमस्यारी गांव जाना है| अब की बार वह दूसरी बार ही जा रहा था| परंतु जब वह चिठ्ठियां छांट रहा था, तब जसौतसिंह नेगी के नाम की तार वह देखता है|दयाराम डर जाता है| यह बात पोस्ट मास्टर देख रहे है| वह दयाराम को पूछते है, तुम्हारी तबियत ठीक नहीं तो मैं जाता हूं| तेरी चाची को भी लेकर आयुंगा| मेरी ससुराल रतन्यारी है| इसीलिए उस दिन पोस्ट मास्टर राम पांडे कमस्यारी गांव जाते है| 

       वह जाने के बाद  उसे रतनसिंह नेगी के पत्नी  का क्रंदन सुनाई देता है| जैसे विधवा जैतुली उसे कह रही है, “इसीलिए डाली थी, पोस्टमैन, तेरी चाय में दो मुठ्ठी चीनी कि तू मेरी जिंदगी में बिस घोल जायेगा… मर जाए पोस्टमैन तू तुझे जन्म देनेवाले के घर सरकारी तार पहुंचे|” तुने मेरे रतनसिंह को गोली मारी|  दयाराम डर जाता है और कहता है मैने नहीं मारी गोली| दयाराम यह कह रहा था कि राम पांडे वहां पहुंचते, उसे झकझोरते कहते है ज्यादा बुखार चढ आया है क्या? दयाराम सपने से बाहर आता है| तब पांडे उसे कहते है, “तकदीर का तू कच्चा ही निकल आया यार दयाराम| तेरी जगह मैं गया पर मेरा भाग्य ही अच्छा निकला| अलमोडा में ब्याही उनकी बेटी को बेटा हुआ उसका तार था| एक ब्राह्मण खुश खबरी लेकर आया इसीलिए मेरे लिए खीर बनाई, ऊपर से आठ आने दक्षिणा भी दी| तुम्हारे लिए चार आने दक्षिणा दी है| तेरी चाची को नहीं ला सका, अगली ट्रीप में लेकर आऊंगा| पर दयाराम ने पोस्ट मास्टर के पैर छुये जैसे कोई भूत बादा उतर गयी हो|  

इसप्रकार प्रस्तुत कहानी में पोस्टमैन की भावनाओं को चित्रित किया है| जब वे चिट्ठी लेकर आते है तो लोग उनका स्वागत करते है| जब वे तार लेकर आते है तब उनको मारा-पिटा तक जाता है| पोस्टमैन की इन अनुभवों के माध्यम से कुमाऊ, अल्मोडा, कमस्यारी गांव के बेरोजगार जवनों को समस्या के इन गांवो के स्त्रियों की वेदना को चित्रित किया है| 


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