M.A. I Sem II Notes

 

रसप्रिया- फणीश्वरनाथ रेणु  


रसप्रिया फणीश्वरनाथ रेणु लिखित मृदंग बजानेवाले कलाकार अर्थात पंचकौडी मिरदंगिया के स्वाभिमान तथा उसके व्यथा  की कहानी है| पंचकौडी मिरदंगिया की मंडली ने रसप्रियाको जनप्रिया बना दिया था | सहरसा से जोगेंदर झा  की विद्यापति के बारह पदों की रचना रसप्रियानाम से छपाई थी | जिसे इस मंडली ने सहरसा और पूर्णिया जिले में काफी प्रसिद्ध किया था |
       पंद्रह
बीस साल पहले इस मंडली को किसी भी समारोह में गाने के लिये बुलाया जाता था| अत: मिरदंगिया को हर कोई जानता है| वह एक अध पगला है| गांव के बडे-बूढे कहते कि अरे पंचकौडी मिरदंगिया का अपना जमाना था |

        पर आज इस जमाने में भी मोहन जैसा लडका भी रसप्रिया गाने का आग्रह कर रहा | मोहन मिरदंगिया को बीच रास्ते मिलता है | वह आज दो साल के बाद इस इलाके में आया है| वह कमलपुर के बाबू लोगों के यहां जा रहा था| कमलपुर के नंदबाबू के यहां उसे चार मीठी बातें सुनने को मिल जाती है|
       सुबह उसे शोभा मिसर के छोटे लडके ने फटकारा था कि तुम कैसी निर्लजता भरी जिंदगी जीते हो
| गले में मृदंग लटकाकर गांव-गांव घुमना और भीख मांगना | आजकाल वह भी नहीं कर पा रहा कारण दाहीने हाथ की उंगली टेढी हो गई है| अतिरिक्त गांजा-भांग के सेवन के कारण गले की आवाज भी विकृत हो गई है| परंतु नंद बाबू के यहां .... जब वह मोहना का रूप देखता है तब उसे यह बात याद आती है कि नटुआ के खोज में वह किस प्रकार गांव-गांव घुमता था| पंच कौडी मूलगैन भी था और मिरदंगिया भी| वही एहसास उसे मोहना को देख कर हो रहा था|
       मोहना उसे रसप्रिया गाने के लिए कहता है
| वही बजाते समय उसकी उंगली टेढी हो गयी है| यह भी मोहना जानता है|
       मोहना को तिल्ली की बिमारी है तो मिरदंगिया उसे गरम पानी पीने के लिये कहता है
| उसकी मां भी यह कहती है|
       मिरदंगिया उसे खाना खाने के लिए बडे प्यार से बुलाता है
| पर भोलेपन में मोहना कह जाता है| ‘तुम भीख मांगते हो नमोहना ने भोलेपन में कहीं बात मिरदंगिया के दिल को ठेस पहुंचाती है| वह मोहना को गाली देता है| मोहना वहां से भाग निकलता है| पर जाते-जाते यह कहता है कि डायन ने बाण मारकर तुम्हारी उंगली टेढी कर दी है| और उसे करैला कहकर चला जाता है|
       जो रमपतिया उसे कहती थी
| अब कमलपुर जाने का उत्साह भी उसे नहीं रहा| उसकी आंखों में आंसू बहने लगे |
       जाते-जाते मोहना उसे डंक मार गया
| अधिकांश शिष्य नाच सिखकर फुर्र हो गये थे| उसे रमपतिया की याद आती है|  वह जोधन गुरुजी की बेटी| जिस दिन उसने जोधन गुरुजी के मंडली में शामिल हुआ था, रमपतिया बारहवें साल में पांव रख रही थी|वह बाल विधवा थी| मिरदंगिया मुलगैन सिखने गया था पर मृदंग सिखता है| आठ वर्ष शिक्षा पूरी होने के बाद गुरुजी उसे रमपतिया से शादी करने के बारे में पूछते हैं| पर उसने अपनी जाती छीपाई थी  और रमपतिया से झूठा प्रेम किया था| अत: वह वहां से भाग जाता है और अपने गांव जाकर अपनी मंडली बनाता है|
       आगे गुरुजी के मृत्यु के बाद रमपतिया की भेंट गुलाब बाग के मेले में मिरदंगिया से होती है
| मिरदंगिया को लगता है रमपतिया और नंद बाबू के कुछ संबंध है| वह मिरदंगिया पर क्रोधित होती है| उसी रात रसप्रिया बजाते बजाते उसकी उंगली टेढी हो गयी थी| यह खबर सुनकर भी रमपतिया भागते हुए आई थी और खूब रोई थी|       

  तब से मिरदंगिया की मंडली टूट गयी और वह गले में मृदंग लटकाकर भीख मांग रहा है| आज मोहना के कारण वह बात फिर से याद आई इसलिये वह पागलों की तरह मृदंग बजाने लगता है| इतने में रसप्रिया के स्वर सुनाई देते है| इस जमाने में शुद्ध रसप्रिया  गानेवाला, रसप्रिया का रसिक कौन है? वह झरबेरी झाडी के उस पर कौन गा रहा है देखने का प्रयास करता है|
       तब वह देखता है मोहना बेसुध होकर गा रहा था
| मिरदंगिया उसके पास पहुंचता है और पुछता है, कौन है तुम्हारा गुरु?
       वह कहता है कि उसकी मां हर रोज गाती है
|तब मिरदंगिया उसके मां-बाप के बारे में पूछता है| उसकी मां कुटाई- पिसाई करती है| पिता अजोधादास अब नहीं रहे| वह कमलपुर के नंदबाबू के यहां काम करता है|
       मिरादंगिया अपने बटुआ से चालीस रुपया निकालकर मोहना को देता है और कहता है मेरे मेहनत के है
| तुम इलाज करना और बचे हुए पैसे से दूध पिना| मोहना उसे मां से मिलने के लिए कहता है| पर वह इन्कार करता है| उसे कहता है जा तुम्हारी मां बुला रही है| वह कहता है अब उसकी उंगली सीधी होगी|
       मोहना चला जाता है
| मां के पास पहुंचने पर पूछति है, कौन मृदंग बजा रहा था? मोहना कहता  है मिरदंगिया आया था|  वह उसके साथ रसप्रिया गाने की बात करता है| तब मां उसे डाटती है चूप ऐसे बेईमान, गुरु-द्रोही, झुठे इन्सान से संगत नहीं करनी| वह रसप्रिया का नाम मत ले ऐसा कहती है|
       पर थोडा आगे जाने के बाद वह पूछति है कि और क्या कह रहा था? 
 मोहना कहता है तुम्हारे जैसा गुणवान बेटा पाकर तुम्हारी मां महारानी है, मैं महाभिखारी  दुआरी हूं |”
       झूठा है
, ऐसे लोगों की संगत मत करना | तब मोहना की मां के आंखों से आंसू बहते है| 

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