‘रसप्रिया’ फणीश्वरनाथ रेणु लिखित मृदंग बजानेवाले कलाकार
अर्थात पंचकौडी मिरदंगिया के स्वाभिमान तथा उसके व्यथा की कहानी है| पंचकौडी मिरदंगिया की मंडली ने ‘रसप्रिया’ को जनप्रिया बना
दिया था | सहरसा से
जोगेंदर झा की विद्यापति के बारह पदों की
रचना ‘रसप्रिया’
नाम से छपाई थी |
जिसे इस मंडली ने
सहरसा और पूर्णिया जिले में काफी प्रसिद्ध किया था |
पंद्रह –बीस साल पहले इस मंडली को किसी भी समारोह
में गाने के लिये बुलाया जाता था| अत: मिरदंगिया को हर कोई जानता है| वह एक अध पगला है|
गांव के बडे-बूढे
कहते कि अरे पंचकौडी मिरदंगिया का अपना जमाना था |
पर आज इस जमाने में भी मोहन जैसा लडका भी
रसप्रिया गाने का आग्रह कर रहा | मोहन मिरदंगिया को बीच रास्ते मिलता है | वह आज दो साल के बाद
इस इलाके में आया है| वह कमलपुर के बाबू लोगों के यहां जा रहा था| कमलपुर के नंदबाबू के यहां उसे चार मीठी
बातें सुनने को मिल जाती है|
सुबह उसे शोभा मिसर के छोटे लडके ने
फटकारा था कि तुम कैसी निर्लजता भरी जिंदगी जीते हो | गले में मृदंग लटकाकर गांव-गांव घुमना और
भीख मांगना | आजकाल वह भी नहीं कर पा रहा कारण दाहीने हाथ की उंगली टेढी हो गई है|
अतिरिक्त गांजा-भांग
के सेवन के कारण गले की आवाज भी विकृत हो गई है| परंतु नंद बाबू के यहां .... जब वह मोहना का रूप
देखता है तब उसे यह बात याद आती है कि नटुआ के खोज में वह किस प्रकार गांव-गांव
घुमता था| पंच
कौडी मूलगैन भी था और मिरदंगिया भी|
वही
एहसास उसे मोहना को देख कर हो रहा था|
मोहना उसे रसप्रिया गाने के लिए कहता
है| वही
बजाते समय उसकी उंगली टेढी हो गयी है| यह भी मोहना जानता है|
मोहना को तिल्ली की बिमारी है तो
मिरदंगिया उसे गरम पानी पीने के लिये कहता है| उसकी मां भी यह कहती है|
मिरदंगिया उसे खाना खाने के लिए बडे
प्यार से बुलाता है| पर भोलेपन में मोहना कह जाता है| ‘तुम भीख मांगते हो न’…मोहना ने भोलेपन में
कहीं बात मिरदंगिया के दिल को ठेस पहुंचाती है| वह मोहना को गाली देता
है| मोहना वहां से भाग निकलता है| पर जाते-जाते यह कहता है कि डायन ने बाण मारकर तुम्हारी
उंगली टेढी कर दी है| और उसे करैला कहकर चला जाता है|
जो रमपतिया उसे कहती थी| अब कमलपुर जाने
का उत्साह भी उसे नहीं रहा|
उसकी आंखों में आंसू बहने लगे |
जाते-जाते मोहना उसे डंक मार गया | अधिकांश शिष्य नाच
सिखकर फुर्र हो गये थे| उसे रमपतिया की याद आती है| वह जोधन गुरुजी
की बेटी| जिस दिन उसने जोधन गुरुजी के मंडली में शामिल हुआ था, रमपतिया बारहवें
साल में पांव रख रही थी|वह बाल विधवा थी| मिरदंगिया मुलगैन सिखने
गया था पर मृदंग सिखता है| आठ वर्ष शिक्षा पूरी
होने के बाद गुरुजी उसे रमपतिया से शादी करने के बारे में पूछते हैं| पर उसने अपनी जाती छीपाई थी और
रमपतिया से झूठा प्रेम किया था| अत: वह वहां से भाग जाता
है और अपने गांव जाकर अपनी मंडली बनाता है|
आगे गुरुजी के मृत्यु के बाद रमपतिया
की भेंट गुलाब बाग के मेले में मिरदंगिया से होती है| मिरदंगिया को लगता है
रमपतिया और नंद बाबू के कुछ संबंध है| वह मिरदंगिया पर क्रोधित
होती है| उसी रात रसप्रिया बजाते बजाते उसकी उंगली टेढी हो गयी थी|
यह खबर सुनकर भी रमपतिया भागते हुए आई थी और खूब रोई थी|
तब से मिरदंगिया की मंडली टूट
गयी और वह गले में मृदंग लटकाकर भीख मांग रहा है| आज मोहना के कारण
वह बात फिर से याद आई इसलिये वह पागलों की तरह मृदंग बजाने लगता है| इतने में रसप्रिया के स्वर सुनाई देते है| इस जमाने में
शुद्ध रसप्रिया गानेवाला, रसप्रिया का रसिक कौन है? वह झरबेरी झाडी के उस पर
कौन गा रहा है देखने का प्रयास करता है|
तब वह देखता है मोहना बेसुध होकर गा
रहा था| मिरदंगिया उसके पास पहुंचता है और पुछता है, कौन है तुम्हारा गुरु?
वह कहता है कि उसकी मां हर रोज गाती
है|तब
मिरदंगिया उसके मां-बाप के बारे में पूछता है| उसकी मां कुटाई- पिसाई करती है| पिता अजोधादास अब
नहीं रहे| वह कमलपुर
के नंदबाबू के यहां काम करता है|
मिरादंगिया अपने बटुआ से चालीस रुपया
निकालकर मोहना को देता है और कहता है मेरे मेहनत के है| तुम इलाज करना और बचे हुए पैसे से दूध
पिना| मोहना
उसे मां से मिलने के लिए कहता है| पर वह इन्कार करता है| उसे कहता है जा तुम्हारी मां बुला रही है|
वह कहता है अब उसकी
उंगली सीधी होगी|
मोहना चला जाता है| मां के पास पहुंचने
पर पूछति है, कौन मृदंग बजा रहा था? मोहना कहता है मिरदंगिया आया था|
वह उसके साथ रसप्रिया गाने की बात करता है| तब मां उसे डाटती है चूप ऐसे बेईमान,
गुरु-द्रोही,
झुठे इन्सान से संगत
नहीं करनी| वह रसप्रिया का नाम मत ले ऐसा कहती है|
पर थोडा आगे जाने के बाद वह पूछति है
कि और क्या कह रहा था? मोहना कहता है ‘तुम्हारे जैसा गुणवान बेटा पाकर तुम्हारी
मां महारानी है, मैं महाभिखारी दुआरी हूं |”
झूठा है, ऐसे लोगों की संगत मत करना | तब मोहना की मां के
आंखों से आंसू बहते है|
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