एक बार जो - अशोक वाजपेयी

   

एक बार जो - अशोक वाजपेयी 


    'एक बार जो' अशोक वाजपेयी लिखित कविता है| जो सन 1990 में प्रकाशित हुई है|  इसमें कवि ने क्षणभंगुर जीवन का एहसास दिलाया है|  इसीलिये आज वर्तमान में जब तक ताकद है तब तक अपने मौल्यवान चीजों को सहजने का अर्थात संभलकर रखने का संदेश किया| आगे कवि यह कहना चाहता है एक बार यह मौल्यवान चीजे छूट गयी तो फिर से मिलना मुश्किल है|  उम्र ढलने के बाद आप उन्हें पाना चाहेंगे तो भी पा नहीं सकेंगे तब पछ्तावा करने बजाय आज ही उन्हें प्राप्त करें या संजोकर रखे यह संदेश किया है वह इसप्रकार

            कवि कहता है कि जीवन अस्थिरता और नश्वरता  है। जैसे फूल मुरझाने के बाद फिर से उसी रूप में नहीं खिलते, वैसे ही जीवन के क्षण, अवसर, और रिश्ते भी चले जाने पर वापस नहीं आते। इसे कवि ने फूल, शब्द, प्रेम, पंख, स्वप्न  या यादों की उपमा दी हैं|  

        कवि कहता है कि हमारा जीवन हमेशा फूलों की तरह सौदर्यशील और ताजगी भरा होना चाहिए| जैसे फूलों को देख हमारा मन प्रसन्न रहता है वैसे हमारा जीवन हमेशा प्रसन्न रखना चाहिए| और दूसरों के जीवन में आनंद लानेवाला चाहिए| 

            ऐसे आनंद के लिए आपके शब्द बहुत ही महत्व पूर्ण है| कारण शब्द जोडने और तोडने का भी काम करते है|जैसे कबीर जी ने कहा था

 "ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय।

औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होय"      

अर्थात शब्दों में अपार शक्ति है |कटु वचन रिश्तों को तोड़ देते हैं, जबकि मधुर वचन प्रेम और भाईचारा बढ़ाते हैं। अर्थात प्रेम भरे शब्द रिश्तों की आत्मा होते है| अर्थात हमारे जीवन में शब्दों का भी बहुत मूल्य हैं|

        जिससे रिश्ते जुडते है और  रिश्तों की ताकद जब हमारे पास होती है, तब  हमारे पंखों में ताकद अपने आप आती है| यह पंख आपके सफलता और स्वतंत्रता का प्रतिक होते हैं| अत: जीवन में आपको पंखो को भी प्राप्त करना है| 

        कारण यह  पंख आपके आशा और भविष्य के सपनों को प्रत्यक्ष रूप देनेवाले होते है| इसके हमें सपनों को भी अभी देखना है| एक बार आप जीवन में सफल हो जाते हो तो यह आपका जीवनानुभव औरों के लिए भी एक प्रेरणा बन जाता है| अत: मनुष्य को अपने जीवन में ऐसे ही सुंदर यादों को सजाना हैं| 

         इस कवि की दृष्टि से यह फूल, शब्द, प्रेम, पंख, स्वप्न  या यादें हमारे जीवन की संजवनी है जो हमें जब तक ताकद है तब तक संजोये रखने है| कारण इन्हीं कें जैसा ही मानव जीवन है| जैसे एक बार फूल मुरझा जाये तो फिर से नहीं खिलता, एक बार शब्द छूट जाए तो फिर से रिश्ते नहीं जुडते, एक बार प्रेम मिट जाए तो द्वेष निर्माण होता है, एक बार पंख टूट जाए तो पुन: आशा नहीं निर्माण होती, एक बार स्वप्न मिट जाए तो जीने की आशा मर जाती है और अच्छी यादे हमें जीवन में आगे बढने के लिए ताकद देती है| इसीलिये कवि कह रहे हैं कि अगर ये चीजें जीवन से छूट जाएँ, तो उन्हें फिर उसी रूप में पाना असंभव है।

            कवि कहता है कि जब तक आपके पास ताकद है अर्थात आज मृत्यु से लढकर वापस आने की ताकद आप के पास है| एक बार यह ताकद मिट जाए तो इन चीजों को प्राप्त करना भी मुश्किल है| इसीलिये आज आपका गाना गाणे का समय है अर्थात इसी क्षण में उसे पाने का अवसर आपके पास है| कवि चेतावनी देते हैं कि अगर अभी हम जीवन की सुंदर चीजों को नहीं अपनाएँगे, तो बाद में पछताना ही पड़ेगा। जैसे मुरझाए फूल पर आंसू बहाने से वह फिर नहीं खिल सकता, वैसे ही खोए हुए रिश्ते, अवसर और क्षण वापस नहीं आते।

           इस प्रकार  यह कविता हमें सिखाती है कि जीवन के फूल, शब्द और प्रेम अर्थात जीवन के अच्छे क्षणों मुरझाने से पहले ही सहेज लो, क्योंकि ढल जाने के बाद वे कभी वापस नहीं आते।

        

एक बार जो - अशोक वाजपेयी 

एक बार जो ढल जायेंगे

शायद ही फिर खिल पायेंगे| 

फूल शब्द या प्रेम

पंख स्वप्न  या याद

 जीवन से जब छूट गये तो

 फिर न  वापस आयेंगे । 

अभी बचाने या सहजेने का अवसर है 

अभी बैठकर साथ

 गीत गाने का क्षण है  

अभी मृत्यु से दाँव लगाकर

 समय जीत जाने का क्षण है| 

कुम्हलाने के बाद

 झुलस कर ढह जाने के बाद

 फेर बैठ पछतायेंगे । 

एक बार जो ढल जायेंगे

 शायद ही फिर  खिल पायेंगे 

 1990

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