1. भाषा विज्ञान और हिंदी भाषा
पेपर नं. 16
ब बहुविकल्पी प्रश्न
भाषा
विज्ञान के प्रधान चार अंग
हैं|
2. डॉ.
भोलानाथ तिवारी ने भाषाविज्ञान के प्रधान अंगों में दो अंग और जोड दिये है|
3. ध्वनि
को स्वन भी कहते है|
4. भाषा की
सबसे लघुत्तम इकाई ध्वनि है|
5. भाषा
विज्ञान के ध्वनि इस अंग का पुनश्च विभाजन नहीं
होता |
6. ध्वनि
का अध्ययन करनेवाले भाषा विज्ञान के अंग को ध्वनि विज्ञान कहा जाता है|
7. ध्वनिओं
का उच्चारण जिन अंगों से होता हैं, उन्हें वाग्यंत्र कहते है|
8. ध्वनि
परिवर्तन के कारणों का अध्ययन ध्वनि विज्ञान में किया जाता है|
9. किसी
विशिष्ठ भाषा की कुछ विशिष्ट काल और विशिष्ट दशाओं में हुए नियमित परिवर्तन को उस
भाषा का ध्वनि
नियम कह सकते है|
10. औचरणिक
ध्वनि विज्ञान में उच्चारण से
संबंधित बातों का अध्ययन किया जाता हैं|
11. सांवहनिक
ध्वनि विज्ञान में ध्वनि लहरों का अध्ययन किया जाता है|
12. श्रावानिक
ध्वनि विज्ञान में ध्वनि के श्रवण प्रक्रिया का अध्ययन किया जाता है|
युनिट २ - पद विज्ञान
13. पद
विज्ञान में पदों का
अध्ययन किया जाता हैं|
14. जब
वाक्य में शब्द जब चलने लगते है, तब उसे पद कहते है|
15. वाक्य भाषा की महत्तम और सार्थक तथा सहज इकाई हैं|
16. शब्दों को ही अर्थतत्व कहते
हैं|
17. पद विज्ञान को रूप विज्ञान कहा जाता
है|
18. कोशों
में जो शब्द होते है उसे अर्थ तत्व कहा जाता है|
19. अर्थ
तत्व में संबंध
तत्व लगने के बाद पद बनता है| (अर्थतत्व +संबंध तत्व = पद)
20. संबंध
तत्व को ही विभक्ती
प्रत्यय/प्रत्यय कहते है|
21. रुपों(पदों)
के समूह को ही वाक्य कहते
है|
22. शब्द
के प्रारंभ में जुडनेवाले प्रत्यय उपसर्ग कहलाते है|
23. शब्द
अंत में जुडनेवाले को प्रत्यय को
कहते है|
24. स्वन दो प्रकार के होते हैं|
25. स्वनगुण तीन प्रकार के होते हैं|
26. रूप के
सार्थक खंड को रुपिम कहते
है|
27. रुपिम
नामक सार्थक इकाई की खोज ८ वीं शताब्दी में पाणिनी ने की है|
युनिट २ शब्द विज्ञान
28. शब्द वाक्य की अर्थवान लघुत्तम इकाई है|
29. शब्दों
का अध्ययन भाषा विज्ञान की जिस शाखा में किया जाता है उसे, शब्द विज्ञान में किया जाता है|
30. संस्कृत
वैयाकरणकार यास्क
मुनि ने शब्द के चार भेद माने है|
31. संज्ञा
के बदले जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है,उसे सर्वनाम कहते है|
32. संज्ञा
के बारे में जानकारी देनेवाले शब्द को विशेषण कहते है|
33. जिसके
बारे में जानकारी दी जाती है, उसे विशेष्य कहते है|
34. जो
जानकारी दी जाती है, उसे विशेषण कहते है|
35. ‘नीला
आकाश’ इस शब्द में आकाश विशेष्य हैं|
36. अर्थ
के अनुसार विशेषण के पांच भेद
हैं|
37. व्यक्ति
वाचक संज्ञा से जो विशेषण बनते है, उसे व्यक्ति वाचक विशेषण कहते है|
38. क्रिया
का मूल रूप धातु कहलाता है|
39. क्रिया
के दो भेद होते है|
40. जिन
पदों पर लिंग, वचन, काल का परिणाम नहीं
होता, उन्हें अव्यय कहते है| इन्हें अविकारी शब्द कहा जाता है|
41. अव्यय
के चार भेद हैं|
42. जिन
पदों पर लिंग, वचन, काल का परिणाम होता,
उन्हें विकारी शब्द कहा जाता है|
43. अव्यय
को ही निपात कहा जाता है|
44. अव्यय
ही अविकारी शब्द होते है |
45. दो
वाक्यों और शब्दों का समुचय करनेवाले अव्यय को समुच्चय बोधक अव्यय कहा जाता है|
46. जिन
अव्यवों से हर्ष, शोक, घृणा आदि का बोध
होता है, उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते है|
47. शब्द
परिवर्तन का अध्ययन शब्द विज्ञान में होता है|
48. अनेक
शब्दों के समूह को शब्दकोश कहा
जाता है|
49. शब्द
कोशों की दृष्टि से हिंदी का ‘बृहद हिंदी शब्दकोश’ है|
50. कोशों
में पाए जानेवाले शब्द दो प्रकार
के होते है|
51. संस्कृत
के शब्द उसी रूप में ग्रहण करने के बाद उसे, तत्सम शब्द कहा जाता हैं|
52. दूसरी
भाषा से आए शब्द विदेशी कहलाते
है|
53. जो
शब्द संस्कृत से आते है, पर परिवर्तित रूप में जब उसे
स्वीकारा जाता है, उसे तदभव शब्द कहा जाता है|
54. शब्द
जब व्याकरण आधार पर अनुशाषित होते है, तब उसे रूप कहा जाता है|
युनिट २ अर्थ विज्ञान
55. अर्थ के कारण ही भाषा की प्रतीति होती है|
56. किसी
भाषिक इकाई को किसी भी इंद्रिय से ग्रहण करने पर जो प्रतीति होती है, उसे अर्थ कहते
है|
57. भाषा
विज्ञान की जिस शाखा में अर्थ का अध्ययन किया जाता है, उसे अर्थ विज्ञान कहा जाता है|
58. शब्द शरीर तो अर्थ आत्मा है|
59. शब्द अर्थ के प्रतीक होते है|
60. शब्द
जिस बुद्धीगत भाव को व्यक्त करते है, उसे ही अर्थ कहा जाता है|
61. भारतीय
परंपरा में अर्थबोध के आठ साधन हैं|
62. शब्दों
के अर्थगत सूक्ष्म बोध को स्पष्ट करना है ,तो व्याकरण की मदद लेनी पडती है|
63. शब्दों
के जब अनेकार्थ होते है, तब उसे पर्यायता कहते है|
64. भर्तृहरी
ने ‘वाक्य पदीय’ में अनेकार्थ शब्दों के निर्णय के चौदह साधन बताये हैं|
65. डॉ.
भोलानाथ तिवारी ने अर्थ परिवर्तन की तीन दिशायें बताई है|
66. अर्थ
परिवर्तन का अध्ययन अर्थ विज्ञान करता है|
युनिट २ - वाक्य विज्ञान
67. वाक्य
का भाषा विज्ञान की जिस शाखा में अध्ययन किया जाता है, उसे वाक्य विज्ञान कहते है|
68. भाषा
का कार्य विचार-विनिमय जिसके माध्यम से होता है, उसे, वाक्य कहा जाता है|
69. भाषा
का प्रमुख कार्य विचार-विनिमय है|
70. भाषा
की सहज इकाई वाक्य है|
71. वाक्य
विज्ञान वाक्य गठन का अध्ययन तीन प्रकार
से करता है|
72. पूर्ण
अर्थ की प्रतीति करानेवाले शब्द समूह को वाक्य कहा जाता है |
73. वाक्य
को अर्थ प्राप्त होने के लिये पांच आवश्यकताएं जरुरी होती हैं|
74. वाक्य
की दो अंग होते हैं- अ) उद्देश्य ब)
विधेय
75. वाक्य
में जिसके बारे में कहा जाता है, उसे उद्देश्य कहा जाता है|
76. उद्देश्य
के बारे में जो जानकारी डी जाती है, उसे विधेय कहा जाता हैं|
77. वाक्यों
का वर्गीकरण चार प्रकारों से किया जाता है|
78. आकृति
के आधार पर वाक्य के दो प्रकार
बनते हैं- 1) अयोगात्मक २) योगात्मक
79. अयोगात्मक और योगात्मक यह वाक्य के प्रकार आकृति के आधार पर बनते हैं|
80. रचना
के आधार पर वाक्य के तीन प्रकार
बनते हैं| 1) सरल वाक्य २) मिश्र वाक्य ३) संयुक्त वाक्य
81. अर्थ
के आधार पर वाक्य के आठ प्रकार बनते है|
82. जिस
वाक्य में निषेध दर्शया हो, उसे निषेधात्मक वाक्य कहा जाता है|
83. कहावतें,
मुहावरें छंद युक्त वाक्य क्रियाहिन होते है|
युनिट ३ -भाषा विज्ञान और
साहित्य का संबंध
84. विज्ञान
का अर्थ विशिष्ठ
ज्ञान है
85. भाषा
का विशिष्ठ अध्ययन करनेवाली शाखा को भाषा विज्ञान कहा जाता है|
86. भाषा
विज्ञान के भाषा साध्य है|
87. साहित्य
के लिए भाषा अभिव्यक्ति है|
88. साहित्य
भाषा विज्ञान के लिए सामग्री संकलन का कार्य करता है|
89. भाषा
के शुद्ध पाठ का अध्ययन करना है, तो साहित्य को भाषा विज्ञान की मदद लेनी पडती है|
90. जीवित
और मृत भाषाओं अध्ययन करना है, तो भाषा विज्ञान को साहित्य की मदद लेनी पडती है|
युनिट ३ भाषा विज्ञान और
व्याकरण का संबंध
91. ‘व्याकरण’
शब्द का अर्थ टुकडे करना
है |
92. भाषा
विज्ञान व्याख्यात्मक है||
93. व्याकरण वर्णात्मक है|
94. भाषा
विज्ञान व्याकरण का व्याकरण है|
95. व्याकरण
भाषा विज्ञान का अनुगामी है|
96. भाषा
विज्ञान प्रगति
वादी है|
97. व्याकरण पुराणमत वादी है|
98. व्याकरण कला है, तो भाषा विज्ञान विज्ञान है |
99. व्याकरण
का क्षेत्र सीमित है, तो
भाषा विज्ञान का क्षेत्र व्यापक है|
100. व्याकरण
का नियम निर्धारण है, तो भाषा
विज्ञान का कार्य परिमार्जन है |
101. भाषा
विज्ञान भाषा का वैज्ञानिक अध्ययन करता है |
102. व्याकरण
भाषा की रचना
स्पष्ट करता है|
युनिट ३ भाषा विज्ञान और
समाज विज्ञान का संबंध
103. समाज
का अध्ययन जिस शाखा में किया जाता है, उसे समाज विज्ञान कहा जाता है|
104. भाषा आद्यंत सामाजिक वस्तु है|
105. भाषा समाज का दर्पण है|
106. समाज भाषा का अनुचर है|
107. समाज
के विकास के साथ भाषा का विकास होता है|
108. भाषा
की परिवर्तन शिलता का अध्ययन समाजविज्ञान करता
है|
109. भाषा
के शब्दों को जो विशिष्ठ अर्थ प्राप्त होता है, अगर यह जान
लेना है तो भाषा विज्ञान को समाज विज्ञान की मदद लेनी पडती है|
युनिट ३ भाषा विज्ञान और
मनो विज्ञान का संबंध
110. जिस
शाखा में मन का विशेष अध्ययन किया जाता है, उसे मनोविज्ञान कहा जाता है|
111. मन का
प्रकट रूप ही भाषा है|
112. भाषा
के आंतरिक गुथ्तियों को सुलझाने के लिये भाषा विज्ञान को मनो विज्ञान का सहारा लेना पडता है|
113. बालकों
की भाषा का अध्ययन करना है, तो मनोविज्ञान को भाषा विज्ञान की मदद लेनी पडती है|
युनिट ३ भाषा विज्ञान और
भूगोल का संबंध
114. Geography एक ग्रीक
भाषा का शब्द है|
115. Geography इस शब्द का सामान्य अर्थ पृथ्वी का अध्ययन करना|
116. भूगोल भाषा विज्ञान को मनोरंजक सामग्री प्रदान करता है|
117. बोलियां
बनने का कारण भूगोल होता
है||
118. भाषा
के परिवर्तन का अध्ययन भूगोल की
मदद से भाषा विज्ञान करता है|
युनिट ३ भाषा विज्ञान और
इतिहास का संबंध
119. इतिहास
के तीन रुपों को लेकर भाषा विज्ञान के साथ संबंध स्पष्ट किया जाता है|
युनिट 4 – मानक वर्तनी के नियम
120. मानक
वर्तनी को अंग्रेजी में स्टैंडर्ड कहा
जाता है|
121. लिखने
की रीति तथा पद्धति को वर्तनी कहा
जाता है|
122. हिंदी
वर्तनी में एकरूपता लाने के लिए भारत सरकार द्वारा सन १९६७ में ‘हिंदी वर्तनी का मानकीकरण’ यह पुस्तक प्रकाशित हो गयी है|
123. भाषाओं
में एकरूपता आए इस दृष्टि से ही व्याकरण के नियमों को अध्ययन करना पडता है|
124. भाषा
की गठन की दृष्टि से वर्तनी का
काफी महत्व होता है|
125. हिंदी
में लगभग 52 वर्ण हैं|
126. मूल
वर्ग के वर्ण में जो पांचवा वर्ण होता है, उसे पंचाक्षर कहा जाता है|
127. खडीपाई
व्यंजनों का संयुक्त अक्षर खडीपाई को
हटाकर बनाया जाता है|
128. बैगैर
खडीपाई वर्णो का संयुक्त अक्षर हल चिन्ह लगाकर बनाना चाहिए |
129. संयुक्त ‘र’ के प्रचलित तीनों रूप
यथावत रहेंगे|
130. हिंदी
के विभक्ति प्रत्यय सर्वनामों को छोड शेष सभी प्रसंगों में अलग लिखे जाए|
131. द्वंद्व
समास के बीच हाइफन रखा
जाए|
132. सम्मानार्थ
‘जी’ और ‘श्री’ अव्यय हमेशा स्वतंत्र लिखे
जाए|
133. हिंदी
में पूर्ण विराम के लिये खडीपाई का प्रयोग किया जाता है|
134. जहां
चंद्रबिंदू के बिना अर्थ में भ्रम की गुंजाईश हो वहां चंद्रबिंदू का प्रयोग किया जाना
चाहिए|
युनिट 4 कारकों के अर्थ और प्रयोग
135. कारक
का सामान्य अर्थ है करनेवाला है|
136. कारक
को सूचित करने के लिये संज्ञा या सर्वनाम के आगे जो प्रत्यय लगते है, उन्हें, विभक्ति प्रत्यय या कारक प्रत्यय कहते हैं|
137. हिंदी
में आठ कारक चिन्ह हैं|
138. कर्ता
कारक का प्रत्यय ने है|
139. कर्म
कारक का प्रत्यय को है|
140. करण
कारक का प्रत्यय से है |
141. सम्प्रदान
कारक का प्रत्यय को, के लिये है|
142. अपादन
कारक का प्रत्यय से है |
143. संबंध
कारक के प्रत्यय का, की,
के, रा,री, रे,ना, नी, ने है|
144. अधिकरण
कारक के प्रत्यय में, पर है|
145. संबोधन
कारक के प्रत्यय हे,अजी,
अहो आदि हैं|
146. कर्ता
के साथ अगर प्रत्यय आता है, तब उसे सप्रत्यय कर्ता कारक कहते है|
147. कर्ता
के साथ अगर प्रत्यय नहीं आता है, तब उसे अप्रत्यय कर्ता कारक कहते है|
148. संज्ञा
या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया करनेवाले का बोध होता है, उसे कर्ता कारक कहते है|
149. जिस
वस्तु पर क्रिया के व्यापार का फल पडत है, उसे दर्शनेवाले
शब्द को कर्म कारक कहते है|
150. संज्ञा
या सर्वनाम के क्रिया के जिस रूप से क्रिया के साधन का बोध होता है, उसे करण कारक कहते है|
151. ‘धन
से प्रतिष्ठा बढती है’ इस वाक्य में धन करण कारक है|
152. जिस
वस्तु के लिए क्रिया की जाती है, उसे सूचित करनेवाले संज्ञा
के रूप को संप्रदान कारक कहते है|
153. ‘गुरु
शिष्य को व्याकरण पढाते है’ इस वाक्य में शिष्य शब्द संप्रदान कारक है|
154. संज्ञा
या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के अलगाव, दूर होना,
निकलना या तुलना करने का बोध होता है, उसे अपादान कारक कहते है|
155. श्याम
से मोहन तरबेज है’ इस वाक्य में श्याम से अपादान कारक है|
156. संज्ञा
या सर्वनाम के जिस रूप से अन्य शब्दों के साथ संबंध स्थापित होने का बोध होता है,
उसे संबंध कारक कहते है|
157. मेरा
भारत महान’ इस वाक्य में मेरा शब्द
संबंध कारक को दर्शता है|
158. संज्ञा
या सर्वनाम के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते है|
159. अधिकरण
कारक के ‘में’ प्रत्यय से भीतरी आधार का बोध होता है|(मोहन कमरे में बैठा है|)
160. अधिकरण
कारक के ‘पर’ प्रत्यय से बाहरी आधार का बोध होता है| (तोता पेड पर बैठा है|)
161. संज्ञा
या सर्वनाम के जिस रूप से किसी को पुकारने, बुलाने, संबोधित करने या चेतीत करने का बोध होता है, उसे संबोधन कारक कहते है|
162. हे
भगवान! मुझे परीक्षा में अच्छे मार्क्स दिलाना’ इस वाक्य में हे भगवान संबोधन कारक है|
युनिट 4 – पदक्रम के नियम
163. शब्द
के साथ प्रत्यय जुडने से बननेवाले शब्द रूप को ही पद कहते है|
164. जब
शब्द वाक्य में प्रयुक्त होने की योग्यता प्राप्त करते है तब उसे पद कहते है|
165. पदों
का वाक्यों में जो निश्चित क्रम होता है उसे पदक्रम कहते है|
166. प्रत्येक
भाषा का पदक्रम अलग-अलग होता है|
167. पदक्रम
के दो प्रकार होते है|( आलंकारिक और व्याकरणिक )
168. सामान्यत:
वाक्य प्रारंभ में कर्ता रखा
जाता है|
169. सामान्यत:
वाक्य के अंत में क्रिया रखी
जाती है|
170. वाक्य
में द्विकर्मक क्रिया जब आती है, तब पहले गौण कर्म रखा जाता है|
171. संज्ञा
के पूर्व विशेषण रखते है|
172. क्रिया
के पूर्व क्रिया
विशेषण रखा जाता है|
173. ‘चतुर
राजा आज नगर में आए है’ इस वाक्य में चतुर विशेषण है |
174. प्रश्न वाचक अव्यय ‘ क्या’ वाक्य के आदि,मध्य और अंत में
रखा जाता है|
175. प्रश्न
वाचक अव्यय ‘न’ हमेशा वाक्य के अंत में आता हैं |
176. संबंध
वाचक क्रिया विशेषण अव्यय बहुधा वाक्य के प्रारंभ में ही आए है|
177. समुच्चय बोधक अव्यय दो शब्दों और
वाक्यों के बीच में आते है|
178. संकेत वाचक समुच्चय बोधक अव्यय वाक्य के प्रारंभ में ही आते है|
179. विस्मयादिबोधक अव्यय वाक्य के प्रारंभ में ही
आते है |
180. ‘अरे,
यह क्या हुआ’ इस वाक्य में अरे यह विस्मयादिबोधक अव्यय है|
युनिट 4 – अल्प विराम(,) के नियम
181. हिंदी
में मुख्य रूप से आठ विराम
चिन्हों का प्रयोग किया जाता हैं|
182. बोलते
या लिखते वक्त जब हम विश्राम लेते है, व्याकरण की भाषा में
उसे विराम कहते है|
183. लिखते
समय ऐसे स्थानों पर कुछ चिन्ह लगाये जाते है, उसे ही विराम चिन्ह कहा जाता है|
184. बहुत
थोडे समय के लिये रुकना है, तो यह अल्प विराम से दर्शया जाता है|
185. वाक्य
पूर्ण होने के बाद पूर्ण विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता|
186. यदि
उद्देश बहुत लंबा हो तो उसके बाद अल्पविराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है|
187. यदि
दो शब्दों के बीच समुच्चय बोधक अव्यय न हो तो अल्पविराम लगाते है|
188. समानाधिकरण
शब्दों के बीच भी अल्पविराम लगाते
है|
189. विस्मयादिबोधक
या संबोधन शब्द के बाद अल्पविराम चिन्ह
लगाते है|
190. छंदों
में यति के बाद अल्पविराम लगाते
है|
191. सकारात्मक
और नकारात्मक शब्द के बाद अल्पविराम चिन्ह लगाते है|
192. वाक्य
में निश्चितता लाने के लिये अल्पविराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है|
युनिट 4 – अवतरण चिन्ह( ‘’ “”) के नियम
193. किसी
व्यक्ति के महत्वपूर्ण वचन को अवतरण चिन्ह में
रखा जाता है|
194. व्याकरण,
तर्क, अलंकार आदि साहित्यिक विषयों के उदाहरण अवतरण में रखे जाते है|
195. वाक्य
में किसी शब्द पर जोर देना है तो वह शब्द एकहरे अवतरण चिन्ह में रखते है|
युनिट 4 निर्देशक (-) के नियम
196. किसी
विषय के साथ तत्संबंधी सूचना देने के पूर्व निर्देशक चिन्ह लगाते है|
197. किसी
व्यक्ति के महत्वपूर्ण वचन को उद्धृत करने से पूर्व निर्देशक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है|
198. दो
संख्याओं, नामों या सन के बीच जब निर्देशक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है, तब उसका अर्थ यहां से यहां तक होता है |
199. ‘कि’ जगह निर्देशक चिन्ह का प्रयोग कर सकते है|
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